राज्य सरकार ने 1080 करोड़ रुपए की लागत से निजी कंपनी जी.वी.के. पावर से खरीदा प्लांट

गोइन्दवाल साहिब ( तरन तारन),
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने रविवार को श्री गुरु अमरदास थर्मल प्लांट को लोगों को समर्पित करके नया इतिहास रचा है।
पंजाब सरकार ने प्राईवेट कंपनी जी.वी.के. पावर की मल्कीयत वाला यह गोइन्दवाल पावर प्लांट 1080 करोड़ रुपए की लागत से खऱीद कर इतिहास रचा है। यह पहली दफ़ा है जब सरकार ने कोई प्राईवेट पावर प्लांट खऱीद कर उल्टा दौर शुरू किया है, जब कि पिछले समय में राज्य सरकारें अपने चहेतों को कम कीमतों पर सरकारी संस्थान बेचने की आदी रही हैं। किसी राज्य सरकार द्वारा पावर प्लांट का यह सबसे कम कीमत पर किया समझौता है क्योंकि 600 मेगावाट की क्षमता वाले कोरबा वेस्ट, झाबुआ पावर और लैंको अमरकंटक जैसे पावर प्लांट क्रमवार 1804 करोड़ रुपए, 1910 करोड़ और 1818 करोड़ रुपए में खऱीदे गए थे।
पंजाब सरकार ने 540 मेगावाट की क्षमता वाला पावर प्लांट दो करोड़ रुपए प्रति मेगावाट के हिसाब से खरीदा है। यह किसी पावर प्लांट के लिए अब तक की सबसे कम कीमत है, जब कि अब तक हुई खऱीदों के मुताबिक कीमत तीन करोड़ रुपए प्रति मेगावाट रही है। इस प्लांट का नाम बदल कर तीसरे गुरू साहिब के नाम पर श्री गुरु अमरदास थर्मल पावर प्लांट रखा गया है।
इस थर्मल प्लांट की क्षमता 61 प्रतिशत थी, जब कि इसमें से केवल 34 प्रतिशत तक का ही प्रयोग होता था, परन्तु अब इस प्लांट की क्षमता को 75 से 80 प्रतिशत तक किया जाएगा, जिससे राज्य में बिजली पैदावार में वृद्धि होगी। पछवाड़ा कोयला खदान का कोयला केवल सरकारी बिजली प्लांटों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस कारण अब इस प्लांट की खऱीद से यह कोयला यहाँ बिजली उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा, जिससे राज्य के हरेक क्षेत्र को बिजली मुहैया होगी। इस खऱीद समझौते से बिजली की दर में प्रति यूनिट एक रुपए की कटौती करने में मदद मिलेगी, जिससे बिजली खऱीद पर 300 से 350 करोड़ रुपए की बचत होगी। इससे राज्य के उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा।
पछवाड़ा कोयला खदान से कोयला मिलने के कारण बिजली की पैदावार (दोगुनी से अधिक) करने में मदद मिलेगी क्योंकि प्लांट लोड फैक्टर अब तक के औसतन 34 प्रतिशत के मुकाबले 75 से 80 प्रतिशत तक पहुँचने की संभावना है। यह प्लांट कार्यशील होने से पंजाब के नौजवानों के लिए रोजग़ार के नए अवसर खुलेंगे, जिससे वह राज्य की तरक्की और ख़ुशहाली में बराबर हिस्सेदार बनेंगे। जि़क्रयोग्य है कि 540 मेगावाट (2×270) की क्षमता वाले गोइन्दवाल प्लांट के प्रोजैक्ट का विचार साल 1992 में आया था। शुरुआती तौर पर 500 मेगावाट की क्षमता वाले प्लांट का समझौता साल 2000 में हुआ था, जिसके बाद 540 मेगावाट की क्षमता वाले प्लांट के लिए एम.ओ.यू. साल 2006 में हुआ था और इसके बाद में साल 2009 में 540 मेगावाट के लिए संशोधित बिजली खरीद समझौता हुआ था।
यह प्रोजैक्ट साल 2016 में अमल में आया था परन्तु अब पी.एस.पी.सी.एल. ने 11 अन्य कंपनियों के मुकाबले में इसको खरीद लिया है। इन 11 कंपनियों में जिन्दल पावर, अदानी पावर, वेदांता ग्रुप, रश्मि मेटालिक्स, शेरीशा टैक्नोलॉजिज़, साई वर्धा पावर, मेगा इंजनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर, इंडिया कोक एंड पावर प्राईवेट लिमिटेड, आर.के.जी. फंड ( आर.के.जी. ट्रस्ट), के.एल.यू. रिसोर्स और कैपरी ग्लोबल होल्डिंग एंड प्राईवेट लिमिटेड ने फरवरी, 2023 को अपने आवेदन जमा करवाए थे, जिसके बाद आखिर में पी.एस.पी.सी.एल ने इसको खरीद लिया। साल 2016-2023 के दरमियान राज्य सरकार ने पावर प्लांटों से 7.08 रुपए प्रति औसतन यूनिट के मुताबिक 7902 करोड़ रुपए अदा करके 11,165 मिलियन यूनिट बिजली खऱीदी थी। जब कि पछवाड़ा कोयला खदान से कोयले की सप्लाई शुरू होने से बिजली की कीमत प्रति यूनिट 4.50 रुपए प्रति यूनिट होगी, जिससे सालाना 300-350 करोड़ रुपए की बचत होगी और यह पैसा लोगों की भलाई पर ख़र्चा जाएगा। यह प्लांट सरकार के हाथों में आने से राज्य में अब तीन सरकारी और दो प्राईवेट थर्मल प्लांट कार्यशील होंगे।